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दूध बेचने वाले अनपढ़ बाप की बेटी 10वीं में लाई 99.17 फीसदी अंक, बताया कैसे मिली प्रेरणा

कहते हैं जब आपके अंदर जीवन में आगे बढ़ने की लगन होती हैं तो फिर आपको अपने मुकाम तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता हैं. अब पढ़ाई लिखाई की बात को ही ले लीजिये. हम में से कोई लोगो के माता पिता सक्षम हैं और पूरी सुख सुविधाओं के साथ हमें शिक्षा देते हैं. लेकिन इसके बावजूद बहुत से बच्चे कोई ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं. कुछ तो छोटी छोटी समस्याओं की आड़ लेकर पढ़ाई लिखाई से जी चुराते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने कम संसाधनों और परिवार की गरीब स्थिति के बावजूद अपनी पढ़ाई के साथ कोई भी समझौता नहीं किया. इस लड़की के सपने कई बड़े हैं जिन्हें पूरा कर वो घर की गरीबी दूर करना चाहती हैं. अपने इस सपने को पूरा करने में लड़की ने कोई भी कसर नही छोड़ी हैं. दरअसल हम यहाँ बात कर रहे हैं राजस्थान बोर्ड में 99.17 प्रतिशत अंक लाकर माता पिता का नाम रोशन करने वाली शीला जाट की.

गौरतलब हैं कि बीते सोमवार राजस्थान बोर्ड की 10वी परीक्षा के रिजल्ट आए हैं. ऐसे में जयपुर के एक गरीब दूध बेचने वाले की बेटी शीला जाट ने बेहतरीन अंक लाकर पुरे इलाके का नाम ऊँचा किया हैं. शीला को एग्जाम में 600 में से 595 अंक हासिल हुए हैं. इसमें शीला ने गणित और विज्ञान में 100 में से 100 अनकट लाकर सबको हैरत में डाल दिया. वहीं हिंदी, अंग्रेजी और समाजक विज्ञान की बत करे तो इन विषयों में उन्होंने 99 अंक प्राप्त किये हैं. साथ ही संस्कृत में उनके 98 अंक आए हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शीला एक बेहद गरीब परिवार से आती हैं. उनके माता और पिता अनपढ़ हैं. शीला के पिता मोहनलाल जाट दूध बेचकर जैसे तैसे अपनी आजीविका चलाते हैं. ताज्जुब की बात ये हैं कि गरीब और अनपढ़ होने के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई लिखाई में कोई कमी नहीं आने दी हैं. उधर उनकी बेटी शीला भी माता पिता की उम्मीदों पर खड़ी उतरी हैं.

परीक्षा में मिले अच्छे अंको का श्रेय शिला ने अपने परिवार और शिक्षकों को दिया हैं. शीला का कहना हैं कि उनके घर वालो ने हमेशा साथ दिया हैं. वहीं पढ़ाई में कुछ दिक्कत होने पर स्कूल की टीचर्स ने पूर्ण सहयोग और मदद की हैं. अपने भविष्य के प्लान को बताते हुए शीला कहती हैं कि वो मेडिकल फिल्ड में आगे की पढ़ाई करना चाहती हैं. शीला का सपना हैं कि वे एक न्यूरो सर्जन बने. वे भविष्य में ब्रेन केंसर का इलाज करने की इच्छा रखती हैं. शीला ने ये भी कहा कि चुकी मेरे पिता पढ़ लिख नहीं सके इसलिए उन्होंने मुझे अच्छे से समझाया था कि जीवन में पढ़ने लिखने में भी गरीब लोगो को कितनी दिक्कत आती हैं. उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद मुझे खूब पढ़ाया हैं. शायद यही वजह थी कि शीला ने अपने पिता के विश्वास को टूटने नहीं दिया और परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया.

शीला दुसरे बच्चों को टिप्स देते हुए कहती हैं कि यदि आके परीक्षा में कम नंबर भी आ जाए तो भी आपको निराश नहीं होना चाहिए. वे बताती हैं कि स्कूल के टेस्ट में उनके भी कई बार कम नंबर आए थे लेकिन वे इससे उदास नहीं हुई और अपनी गलतियों से सिख आगे बढ़ती चली गई.

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