अध्यात्म

जानिए भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतार और उनकी महिमा के बारे में.

नमस्कार दोस्तों आप सभी लोगों का हमारे लेख में स्वागत है दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि जब जब इस पृथ्वी पर पाप बढ़ने लगता है तब भगवान विष्णु जी अपने अलग-अलग अवतार लेकर सभी प्राणियों की रक्षा करते हैं और धरती पर पुनः धर्म की स्थापना करते हैं वैसे देखा जाए तो भगवान विष्णु जी के बहुत से रूप हैं और आप लोगों ने इनके रूपों के बारे में सुना या पढ़ा भी होगा परंतु आपको बता दें कि भगवान विष्णु के सभी रूपों में से ऐसे 10 अवतार हैं जिनको सबसे प्रमुख माना गया है आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भगवान विष्णु जी के इन 10 स्वरूपों के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं।

आइए जानते हैं भगवान विष्णु के इन 10 स्वरूपों के बारे में

मत्स्य अवतार

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भगवान विष्णु जी का सबसे प्रथम अवतार मत्स्य अवतार था और भगवान विष्णु जी के इस अवतार लेने के पीछे जो कथा है वह यह है कि एक बार एक राक्षस ने सभी वेदों को चुराकर उसे समुंद्र में छुपा दिया था और तब जाकर विष्णु जी ने मत्स्य का अवतार लिया था और उन सभी वेदों को समुद्र में से ढूंढ कर निकाला था और दोबारा से उन सभी वेदों की स्थापना की गई थी आपको बता दें कि अपने इस अवतार में विष्णु जी आधे नर और आधी मछली के रूप में थे।

कूर्म अवतार

आपको बता दें कि भगवान विष्णु के द्वारा कूर्म का अवतार समुंद्र मंथन के समय लिया गया था भगवान विष्णु जी के इस अवतार को कच्छप अवतार भी कहा जाता है एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इंद्र को श्राप देकर श्रीहीन कर दिया था और देवी लक्ष्मी रुष्ट होकर चली गई थी तब जाकर भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन की सलाह दी भगवान विष्णु जी ने एक बहुत विशाल कछुए का रूप धारण किया था और समुंदर में मंदराचल के आधार बन गए भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेज गति से घुमाया गया था और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ था।

वराह अवतार

आपको बता दें की भगवान विष्णु जी का तीसरा अवतार वराह अवतार था और इस अवतार में भगवान विष्णु जी ने सूअर का रूप धारण किया था इसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि दैत्य हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को ले जाकर समुंदर में छुपा दिया था तब ब्रह्मा जी की नाक से भगवान विष्णु वराह के रूप में प्रकट हुए थे और भगवान ने अपनी थूथनी की मदद से पृथ्वी को ढूंढ निकाला था और समुंदर के अंदर जाकर अपने दांतो पर रखकर पृथ्वी को बाहर लेकर आए थे उसके बाद भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया।

नरसिंह अवतार

भगवान विष्णु जी का चौथा अवतार नरसिंह अवतार था भगवान विष्णु जी इस रूप में इनका सिर सिंह का और शरीर नर का था भगवान नरसिंह ने अपने सबसे बड़े भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए उसके पिता दैत्य हिरणाकश्यप का वध करने के लिए इस अवतार को लिया था आपको बता दें कि हिरणाकश्यप को ब्रह्मा जी का वरदान मिला हुआ था कि उसका अंत कोई नहीं कर सकता है इसी वजह से विष्णु जी ने इस अवतार को लिया था।

वामन अवतार

आपको बता दें कि भगवान विष्णु जी का पांचवा अवतार वामन अवतार था भगवान सत्ययुग में प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि ने स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया था तब भगवान विष्णु देवमाता अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए थे जिस अवतार को वामन अवतार के रूप में जाना जाता है ऐसा बताया जाता है कि जब बली महायज्ञ कर रहा था तब भगवान वामन वहां पहुंचे और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग लिया परंतु राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ गए थे और उन्होंने बलि को दान करने से रोक दिया था परंतु बलि ने फिर भगवान वामन को तीन पग धरती दान में दे दिया तब वामन ने विशाल रूप धारण करके एक पग में धरती दूसरे पग में स्वर्ग लोक और तीसरे पग में कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पैर रखने को कह दिया और जब बलि के सर पर भगवान ने अपना पग रखा तो वह सुतललोक पहुंच गया भगवान बलि से प्रसन्न हुए और उसको सुतललोक का स्वामी बना दिया।

परशुराम

भगवान विष्णु जी के छठे अवतार भगवान परशुराम थे भगवान परशुराम का जन्म संसार को क्षत्रियों के अत्याचार से बचाने के लिए हुआ था इन्होंने 21 बार धरती पर से क्षत्रियों का विनाश किया था परशुराम भगवान भोलेनाथ जी के परम भक्त थे और इन्होंने शिवजी से अस्त्र शस्त्र की विद्या प्राप्त की थी परशुराम जी की भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें परशु दिया था बचपन में उनके माता पिता इन्हें राम कहते थे परंतु भोलेनाथ जी से परशु मिलने की वजह से परशुराम के नाम कहे जाने लगे।

श्री राम

भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार रामजी थे धरती पर रावण का अत्याचार बढ़ गया था तब भगवान विष्णु जी ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म लिया था यह राजा दशरथ और रानी कौशल्या जी के पुत्र थे इन्होने अपने इस रूप में 14 वर्ष का वनवास भी काटा था ऐसा कहा जाता है कि नारद जी से स्त्री वियोग सहने का श्राप मिला था इसी कारण श्री राम जी अपनी पत्नी सीता से अलग हुए थे।

श्री कृष्ण

भगवान विष्णु जी का आठवां अवतार कृष्ण अवतार था इन्होने मथुरा में देवकी और वासुदेव के पुत्र के रुप में जन्म लिया था परंतु इनका पालन पोषण माता यशोदा और नंद बाबा ने किया था इस अवतार में इन्होने अपने मामा कंस का वध किया था और इसके अत्याचारों से सबको मुक्त कराया था इन्होंने महाभारत के युद्ध में भी बहुत अहम भूमिका निभाई थी।

भगवान बुद्ध

भगवान विष्णु जी के नौवें अवतार भगवान बुद्ध थे यह गौतम बुद्ध के नाम से भी जाने जाते हैं इन्होने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी इस धर्म को संसार के 4 बड़े धर्मों में से एक माना जाता है बचपन में इनका नाम सिद्धार्थ था विवाह के बाद इनका गृहस्थ जीवन में मन नहीं लगा था तो एक दिन इन्होने सब कुछ त्याग करके सत्य की तलाश में निकल पड़े।

कल्कि अवतार

भगवान विष्णु जी का दसवां अवतार कल्कि अवतार है पुराणों के अनुसार देखा जाए तो भगवान का कल्कि अवतार कलयुग के अंत में होगा पुराणों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि उनके पुत्र के रुप में जन्म लेंगे और कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर आएंगे संसार से सभी पापियों का विनाश करेंगे और तब धर्म की पुनः स्थापना होगी तब जाकर सतयुग का आरंभ होगा।

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