अध्यात्म

क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में क्यों सबसे आराध्य हैं भोलेनाथ? जानिए इसकी कथा

महाशिवरात्रि का पर्व भोलेनाथ की पूजा आराधना करने के लिए सबसे पावन दिन माना गया है, महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी 2020 को है, इस दिन सभी भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हर जतन में लगे रहेंगे, लोग मंदिरों में जाकर भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे और इनकी पूजा उपासना करके इनको प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश में लगे रहेंगे, वैसे देखा जाए तो दुनिया में भोलेनाथ के भक्तों की कोई कमी नहीं है, ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करते हैं, परंतु क्या आप लोग जानते हैं कि हिंदू धर्म में भगवान शंकर जी को सबसे बड़ा आराध्य देव क्यों माना जाता है?

शायद कोई व्यक्ति होगा जिसको इस बात की जानकारी होगी? आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भगवान शिवजी से जुड़ी हुई रोचक कथाओं के विषय में जानकारी देने वाले हैं, इसके साथ ही आपको इस बात की जानकारी देंगे कि भगवान शिव जी को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा आराध्य देव क्यों माना जाता है, आखिर इसकी वजह क्या है।

शिव पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार शिव जी की कथा

अगर हम शिव पुराण के अनुसार जानकारी प्राप्त करें तो इसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि भगवान भोलेनाथ स्वयंभू है, इसका अर्थ यह है कि इनकी उत्पत्ति स्वयं हुई है, भगवान भोलेनाथ जन्म और मृत्यु से बिल्कुल परे माने जाते हैं, इसके अलावा विष्णु पुराण में भगवान शिव जी के जन्म से संबंधित एक कथा के अनुसार इस बात का उल्लेख मिलता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा जी को एक बच्चे की आवश्यकता थी, तब उन्होंने इसके लिए तपस्या की थी, जब वह तपस्या में लीन थे तब अचानक ही उनकी गोद में एक रोता हुआ बच्चा प्रकट हुआ था जो कि भगवान शिवजी थे, जब भगवान ब्रह्मा जी ने उस रोते हुए बच्चे से उसके रोने की वजह पूछी तो उस बच्चे ने बड़ी ही मासूमियत से यह जवाब दिया था कि उसका नाम ब्रह्मा नहीं है, इसी कारण से वह रो रहा है, तब भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान शिव जी का नाम रुद्र रखा था जिसका मतलब “रोने वाला” होता है।

विष्णु पुराण में भगवान शिव जी के ब्रह्मा के रूप में जन्म लेने के पीछे एक और कथा प्रचलित है, जिसके मुताबिक यह जानकारी मिलती है कि जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्मांड जलमग्न हो गया था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं बचा था, भगवान विष्णु जी ही केवल जल सतह पर अपने शेषनाग पर विराजमान थे, तब इनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हो प्रकट हुए थे, जब यह दोनों देव सृष्टि के संबंध में वार्तालाप कर रहे थे तब भगवान शिव जी प्रकट हुए थे तब भगवान ब्रह्मा जी ने उनको पहचानने से मना कर दिया था, इस बात पर भगवान शिवजी रूठ गए थे, तब भगवान विष्णु जी ने ब्रह्मा को शिव जी का स्मरण कराया था तब ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिवजी से क्षमा मांगी, तब उन्होंने अपने पुत्र के रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा था, तब ब्रह्मा जी की प्रार्थना शिव जी ने स्वीकार की और उनको आशीर्वाद दिया।

जानिए हिंदू धर्म में क्यों सबसे आराध्य हैं भोलेनाथ

भगवान भोलेनाथ को सृष्टि का रचयिता बताया जाता है इस बात का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में किया गया है, भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करना सबसे सरल मानी गई है, भगवान शिव जी को प्रसन्न करने या फिर इनकी पूजा-अर्चना करने के लिए किसी कीमती चीज की आवश्यकता नहीं पड़ती है, यह मात्र एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों के ऊपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं, ऐसा बताया जाता है कि इनकी कृपा से बड़े से बड़े संकट भी पल भर में दूर हो जाते हैं, इसी वजह से हिंदू धर्म में भोलेनाथ को आराध्य देव माना गया है।

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