अध्यात्म

वट पूजा में जहाँ महिलाओं ने 7 जन्मों तक माँगा पति का साथ, वहीं पुरुषों ने ऐसी दुआ की जान कर आप..

नई दिल्ली: भारत एक धार्मिक देश है, यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है। यहाँ हर राज्य में तरह-तरह की मान्यताएँ और परम्पराएँ हैं। लोग अपने इष्टदेव की पूजा भी अलग-अलग तरह से करते हैं। कहीं पर किसी देवी-देवता की प्रमुखता से की जाती है तो किसी जगह पर किसी अन्य देवता को महत्व दिया जाता है। भले ही अलग-अलग जगहों पर पूजा-पाठ लोग अलग-अलग तरह से करते हैं, लेकिन पूजा-पाठ में उनकी श्रद्धा अटूट होती है।

यमराज से छिनकर अपने पति को वापस लायी थी सावित्री:

लोगों का ऐसा विश्वास होता है कि पूजा-पाठ करके जो भी माँगा जाता है, भगवान उसे पूरा कर देते हैं। सदियों से हिंदू धर्म में वट वृक्ष को पवित्र वृक्ष की तरह पूजा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जो महिलाएँ वट वृक्ष की पूजा करती हैं, उनका सुहाग अजर-अमर रहता है। वट पूजा के ही दिन सावित्री यमराज से छिनकर अपने पति को वापस लायी थी। इसी वजह से विवाहित महिलाएँ अपने पति की लम्बी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को रखती हैं और वट की पूजा करती हैं।

वट पूजा के दौरान ही महाराष्ट्र में एक ऐसी घटना घटी जिसके बारे में जानकार आप हैरान रह जाएँगे। जी हाँ महाराष्ट्र की घटी इस घटना के बारे में जानकार आप समझ नहीं पाएँगे कि हँसा जाए या इसका दुःख मनाया जाए। दरअसल जहाँ महाराष्ट्र में महिलाएँ वट पूजा के दौरान अपने पतियों की लम्बी उम्र के लिए और सात जन्म तक उन्हें पति पाने के लिए प्रार्थना कर रही थी, वहीं, पुरुषों का एक समूह पत्नियों से छुटकारा पाने के लिए दुआएँ माँग रहा था। आपको बता दें ये पुरुष अपनी पत्नियों से तंग आ गए हैं।

पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन के सदस्य हैं ये लोग:

पुरुषों ने पेड़ के चारो तरफ़ उल्टी दिशा में धागा बाँधकर यह दुआ की कि उन्हें ऐसी पत्नियाँ सात जन्मों तक तो क्या सात सेकेंड के लिए भी नहीं चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह एक ऐसा पर्व है जब महिलाएँ पूरे दिन उपवास रहती हैं।महिलाएँ बरगद के पेड़ के चारो त रफ़ धागा बाँधकर अगले सात जन्मों तक अपने पतियों का साथ माँगती हैं। जबकि इस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहाँ पुरुष पत्नियों से छुटकारा पाने के लिए दुआएँ माँग रहे हैं। जानकारी के अनुसार ये लोग पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन के सदस्य हैं।

पुरुष अधिकार दिवस के मौक़े पर की गयी थी आश्रम की स्थापना:

इस संगठन के सदस्यों ने वट पर धागा बाँधते हुए यह प्रार्थना की कि उन्हें अगले सात जन्मों तक ऐसी पत्नियाँ ना दें। इस संगठन के सदस्य तुषार वाखरे का कहना है कि पत्नियाँ क़ानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल करके पुरुषों का उत्पीड़न करती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें औरंगाबाद के पास एक “पत्नी पीड़ित पुरुष आश्रम” खुला हुआ है। यह ऐसी जगह है जहाँ पत्नियों द्वारा प्रताड़ित पुरुषों को आश्रय दिताया जा है। इस आश्रम की स्थापना 19 नवम्बर 2016 को पुरुष अधिकार दिवस के मौक़े पर हुई थी। इस आश्रम को भारत फुलारे नाम के व्यक्ति ने शुरू किया है।

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