अध्यात्म

आखिर नंदी के कान में कहने से क्यों हो जाती हैं मनोकामना पूरी, जानिए इसकी पौराणिक कथा

अगर हम वर्तमान समय की बात करें तो वर्तमान समय में सभी लोगों की यही चाहत रहती है कि उनकी सभी इच्छाएं जल्द से जल्द पूरी हो जाए, वह चाहते हैं कि वह अपनी मनोकामनाएं जितनी जल्दी हो सके पूरा करवा ले, व्यक्ति के मन में बहुत सी मनोकामनाएं रहती हैं जिनको पूरा करना उनके लिए लगभग असंभव रहता है, इस स्थिति में अक्सर अपनी मनोकामना को पूरी करने हेतु वह भगवान की शरण में जाता है ऐसा कहा जाता है कि देवों के देव महादेव अपने भक्तों से बहुत ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं बहुत शीघ्र पूरी करते हैं, परंतु आप लोगों ने कभी गौर किया होगा कि जब भी हम कोई अपनी मनोकामना भोलेनाथ के दरबार में मांगते हैं तो हमको अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहना पड़ता है, नंदी भगवान शिव जी का वाहन है और ऐसा बताया जाता है कि अगर आपको अपनी मनोकामना भगवान शिव जी तक पहुचानी है तो इसके लिए आपको नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहना होगा तभी आपकी बात भगवान शिव जी तक पहुंच पाएगी।

 

आप सभी लोगों ने शिव मंदिर के अंदर भगवान शिव जी के वाहन नंदी को तो देखा ही होगा, यह शिव जी के साथ ही विराजमान रहते हैं, आप नंदी महाराज को हर शिव मंदिर में देख सकते हैं, शास्त्रों के मुताबिक इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर शिव मंदिर में जाकर नंदी के कान में चुपके से कोई मनोकामना मांगी जाती है तो इससे व्यक्ति की मनोकामना अवश्य पूरी होती है, आजकल के समय में भी लोग नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं और उनकी मनोकामना भगवान शिव जी के पास पहुंच जाती है और उनकी इच्छा पूरी होती हैं, लेकिन कभी आप लोगों ने इस बात पर गौर किया है कि आखिर नंदी के कान में ही क्यों अपनी मनोकामना कही जाती है? आखिर इसके पीछे रहस्य क्या है? आखिर क्या वजह है कि अपनी मनोकामना भगवान शिवजी तक पहुंचाने के लिए नंदी के कान में अपनी मन्नत कहनी पड़ती है? आज हम आपको इसके पीछे की एक पौराणिक कथा बताने वाले हैं।

एक पौराणिक कथा के अनुसार श्रीलाद मुनी एक ब्रह्मचारी थे और उन्हें एक बालक खेत में पड़ा हुआ मिला था, उस बालों को को लेकर वह अपने आश्रम चले गए थे, श्रीलाद मुनि ने उस बालक का नाम नंदी रखा था और नंदी शिव के भक्त थे, एक बार दो साधु श्रीलाद मुनि के आश्रम में आए और उन्होंने भविष्यवाणी की गई थी कि नंदी अल्पायु है और बहुत ही कम उम्र में इसकी मृत्यु होगी, जब इस बात का पता नंदी को लगा तो वह काफी दुखी हुए और भगवान जी की तपस्या में लीन हो गए थे, नंदी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी ने उनको अजर अमर का वरदान दिया था और नंदी को अपने साथ ले गए थे, भगवान शिव जी और पार्वती जी ने सभी गणों के समक्ष गणों के अधिपति के रूप में नंदी का अभिषेक करवाया था और भगवान शिव जी ने नंदी को वरदान दिया था कि जहां उनका निवास होगा वहां पर नंदी भी विराजमान रहेंगे, जो कोई नंदी की पूजा करके उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगा उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जायेंगीं, बस यही वजह है कि लोग अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए नंदी की कान में अपनी मन्नत मांगते हैं जो मन्नत भगवान शिव जी तक पहुंच जाती है उसके बाद भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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