अध्यात्म

मां संतोषी के इस दरबार में निराश जिंदगी हो जाती है खुशहाल, भक्तों की मुरादें मां करती हैं पूरी

हमारा देश धार्मिक देशों में से एक माना जाता है। देश के लोगों के अंदर ईश्वर के प्रति आस्था कूट-कूट कर भरी है, जिसके चलते देश के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। देशभर के ऐसे बहुत से मंदिर है जो अपने चमत्कार को लेकर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आज हम आपको संतोषी माता के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जो अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि माता रानी के इस दरबार में जो भक्त अपने सच्चे मन से दर्शन करता है और यहां पर पीपल के पेड़ पर चुनरी बांधता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

हम आपको मां संतोषी के जिस मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह मंदिर दिल्ली में स्थित है। मां संतोषी का यह मंदिर हरी नगर डिपो के पास बना हुआ है जिसके प्रति भक्तों के अंदर अटूट आस्था देखने को मिलती है। इस मंदिर में दिल्ली एनसीआर से बड़ी संख्या में लोग माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। वैसे तो रोजाना ही यहां पर भक्तों का आना जाना लगा रहता है परंतु नवरात्रि के दिनों में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। नवरात्र में मेले का आयोजन भी होता है। चाहे जैसी भी परिस्थितियां हो लेकिन भक्तों के अंदर उत्साह की कोई कमी नहीं रहती है और ना ही भक्तों की संख्या में कोई कमी आती है।

वेस्ट दिल्ली डिपो के पास स्थित संतोषी माता मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है। इसके संस्थापक भगत शमशेर बहादुर सक्सेना हैं। जैसे-जैसे भक्तों के बीच इसकी मान्यता बढ़ती गई, वैसे-वैसे मंदिर का स्वरूप भी बदलता गया है। नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर की रौनक देखने लायक होती है। इस दौरान भक्तों की भीड़ कुछ ज्यादा ही रहती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह बताई जाती है कि यहां पर कोई पुजारी नहीं है। हर मंगलवार को मां वैष्णो देवी और हर रविवार को संतोषी माता की चौकी लगती है। श्रद्धालुओं की सहायता के लिए यहां पर सेवादार मौजूद रहते हैं।

मां संतोषी के इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां पर संतोषी मां सहज रूप से प्रकट होकर भक्तों को दर्शन देती हैं। इस मंदिर में माता रानी की जो विशाल मूर्ति बनी हुई है वह अष्ट धातु की है। 24 घंटे यहां पर अखंड ज्योत प्रज्वलित होती रहती है। ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर के अंदर भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इस मंदिर में एक पीपल का पेड़ है, जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस पीपल के पेड़ में चुनरी बांधने से भक्तों की मुरादे पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने के पश्चात चुनरी खोलने के लिए भक्त आते हैं।

मां संतोषी के श्रृंगार के लिए ताजे फूलों का इस्तेमाल किया जाता है और रोजाना ही माता रानी के वस्त्रों को बदला जाता है। इस मंदिर के अंदर चाहे अमीर हो या फिर गरीब, सभी एक समान माने गए हैं और सभी लोग लाइन में लगकर माता रानी के दर्शन करते हैं। प्रसाद और भंडारा भी लाइन में लगकर मिलता है।

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