अध्यात्म

2000 साल से भी पुराना है यह शनि धाम, यहाँ तेल चढ़ाकर श्रद्धालु शनि पीड़ा से पाते हैं मुक्ति

अपने भारत देश की बात करें तो पूरे देश भर में बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर मौजूद है और इन सभी मंदिरों की अपनी अलग अलग पहचान बनी हुई है, अगर इन मंदिरों के इतिहास के बारे में जाने तो बहुत सी दिलचस्प कहानियां सुनने को मिलती है, कई बार तो इन मंदिरों के बारे में जानकर लोगों को आश्चर्य भी होने लगता है, इन मंदिरों में होने वाले चमत्कार के आगे लोगों का विश्वास और अधिक बढ़ जाता है, इन मंदिरों से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है, परंतु आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने वाले हैं उस मंदिर के बारे में ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिनको जानकारी होगी।

देश भर में शनिदेव के मंदिर आप लोगों ने बहुत से देखे होंगे और इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए अवश्य गए होंगे, परंतु आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है, जिसको शनि मंदिर के नाम से लोग जानते हैं, इस मंदिर को नवग्रह मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, शनिदेव का यह मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है, इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 2000 साल पहले से यहां पर स्थापित है, इस मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने कराई थी।

शनि देव के इस मंदिर से विक्रम संवत का भी इतिहास जुड़ा हुआ है, इतना ही नहीं बल्कि यह मंदिर पहला भी है, इस मंदिर के अंदर न्यायधीश शनि देव शिव के रूप में विराजमान है, यहां पर मुख्य शनिदेव की प्रतिमा के साथ-साथ ढैय्या शनि की भी प्रतिमा स्थापित है, इस मंदिर में लोग दूर-दूर से शनिदेव पर तेल अर्पित करने के लिए आते हैं, सभी श्रद्धालु अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए शनि देव के ऊपर तेल अर्पित करते हैं, ऐसा कहा जाता है कि जो श्रद्धालु शनिदेव के ऊपर तेल अर्पित करता है उसको शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है।

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं शनिदेव को न्यायधीश की उपाधि दी गई है और यह व्यक्ति के साथ हमेशा न्याय ही करते हैं, इस मंदिर के अंदर लोग अपने जीवन की तमाम परेशानियां लेकर आते हैं और शनिदेव पर तेल अर्पित करके अपने दुखों से छुटकारा पाने की प्रार्थना करते हैं, इस मंदिर से कोई भी श्रद्धालु निराश होकर नहीं जाता है, सभी भक्तों के कष्ट शनिदेव अवश्य दूर करते हैं, शनिदेव का यह धाम दुनियाभर में काफी मशहूर है और यहां पर दर्शन करने के लिए लोग दूर-दराज से भारी संख्या में आते हैं।

शनि देव के इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि शनि अमावस्या के दिन यहां पर 5 क्विंटल से भी अधिक तेल शनिदेव पर अर्पित किया जाता है, इस मंदिर का प्रशासन इसके लिए कई टंकी की व्यवस्था करता है इसके पश्चात इस तेल को नीलाम भी किया जाता है, शनि अमावस्या के दिन श्रद्धालु शिव रूप में शनिदेव को तेल अर्पित करके प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, ऐसा बताया जाता है कि जो श्रद्धालु अपने सच्चे मन से शनिदेव के ऊपर तेल अर्पित करके इनको प्रसन्न कर देता है उसके जीवन के सभी दुख शनिदेव दूर कर देते हैं।

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