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दिवाली की भावुक करने वाली तस्वीर,ग्राहक का इंतज़ार करते-करते २ बच्चों के साथ सड़क पर ही सो गया ये शख्स

दीपावली रोशनी का त्योहार माना जाता है और ऐसा होता भी है जब लोग अपने घर को सजाने में लाखों रुपये खर्च कर देते हैं. कोई भी चीज को खरीदने के लिए ऑनलाइन या मॉल की तरफ लोग मुड़ जाते हैं लेकिन उन गरीबों पर किसी की नजर नहीं जाती जो इसका महीनों से इंतजार करते हैं जिससे उनकी कुछ कमाई हो जाए और वो भी अपने परिवार के साथ एक अच्छी सुखमय दीपावली मना सकें. कुछ ऐसी ही तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जब ग्राहक का इंतज़ार करते-करते बच्चों के साथ सड़क पर ही सो गया ये शख्स, और यह तस्वीर फेसबुक पर शेयर कर दी गई लेकिन शायद ही इस परिवार की किसी ने मदद की हो. मगर लोग इस तस्वीर को देखकर भावुक जरूर हुए हैं.

बच्चों के साथ सड़क पर ही सो गया ये शख्स

मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाले ईश्वर शर्मा नाम के यूजर ने फेसबुक पर एक तस्वीर शेयर की. अब यह तस्वीर इंदौर की ही हो या फिर कहीं की भी क्आ फर्क पड़ता है. इस तस्वीर में एक आदमी सड़क के किनारे अपने दो बच्चों के साथ सोता नजर आया जिसमें एक 5 या 7 साल की लड़की और ढाई साल का लड़का है. इस आदमी के सामने कुछ सामान रखा हुआ है और वो उसे बेचने के लिए बैठा है जिसमें कुछ खजूर डलिया में रखे हैं और भी कुछ सामान है

बहुत सी चीजें हाथ से बनी भी हुई हैं और इतना अच्छा कलाकार होने के बाद भी वो इतना सामान लिए बैठा है शायद दो पैसा वो भी कमा ले लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. यह परिवार इसी उम्मीद में है कि बांस-खजूर की डलिया न सही ये साइकिल ही बिक जाती या फिर कोई और सामान बिक जाता. इस तस्वीर में दूर तक दिवाली की रोशनी दिखाई दे रही है, लेकिन हकीकत में यह बात है कि इस आदमी की तरह भारत में इसके जैसे हजारों, लाखों लोगों की जिंदगी भी होगी जो ऐसी चकाचौंध को देखने के लिए तरस रही होगी. बहुत से लोग ऐसे हैं कि वहीं पर दुकानदारी करने के बाद वहीं पर चादर ताने सो जाते हैं और फिर अगले दिन दो समय की रोटी को जुटाने के लिए उसी जगह पर दुकानदारी करने लगते हैं.

जब सोशल मीडिया पर भावुक हुए यूजर्स

ऐसा नजारा सोशल मीडिया पर बहुत देखने को मिलता है लेकिन इस तस्वीर को देखकर लोग ज्यादा भावुक हुए. किसी ने इस पर दुख जताया तो किसी ने इसे समाज का असली चेहरा बताया तो वहीं किसी ने नेताओं पर अपना गुस्सा निकाला और वहीं किसी दूसरे यूजर ने लिखा कि ‘देश की हक़ीक़त यही है. हमें ऐसे ही हालात में जीने की आदत सी हो गयी’, वहीं एक यूजर ने लिखा- ‘ऐसे नजारे तो दिखते ही रहते हैं तो पता नहीं क्यों अपराध बोध सताने लगता है.

कुछ को ऐसा लगता है कि जैसे वो ही ऐसी तस्वीरों के जिम्मेदार हैं जिनके पास रोशनी करने के लिए कोई भी पहल नहीं कर पाता है.
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