अध्यात्म

इस अद्भुत मंदिर में “नरमुखी गणेश प्रतिमा” की होती है पूजा, दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं भक्त

भगवान गणेश जी को भक्तों के विघ्न दूर करने वाला देवता माना गया है। विघ्नहर्ता गणेश जी की कृपा जिस व्यक्ति के ऊपर होती है, उस व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। देश भर में ऐसे बहुत से गणेश मंदिर मौजूद है जिनका अपना अलग ही महत्व बताया जाता है। देशभर के इन अनोखे और प्रसिद्ध मंदिरों में अक्सर भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान गणेश जी के यह सभी मंदिर अपनी अलग-अलग खासियत और पौराणिक महत्व की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आज हम आपको भगवान गणेश जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बहुत ही खास माना गया है। यह मंदिर सभी मंदिरों से बहुत अलग है। इस मंदिर के अंदर जो भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थित है उसको बहुत ही खास और अलग बताई जाती है। इस मंदिर के अंदर दर्शन करने के लिए लोग दूर-दराज से लोग आते हैं। इतना ही नहीं इस मंदिर में लोग पितरों की शांति के लिए भी आते हैं।

आज हम आपको भगवान गणेश जी के जिस अद्भुत और खास मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं, यह मंदिर अपनी विशेषता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। गणेश जी का यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले के शहर कूटनूर में स्थित है। कूटनूर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर तिलतर्पण पूरी में “आदि विनायक मंदिर” भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर अन्य गणेश मंदिरों से सबसे अलग बताया जाता है क्योंकि इस मंदिर के अंदर भगवान गणेश जी की नरमुखी प्रतिमा यानी इंसान के रूप की प्रतिमा की पूजा की जाती है। इस मंदिर के अंदर भगवान गणेश जी की प्रतिमा गज के जैसा नहीं है बल्कि इंसान के रूप में प्रतिमा यहां पर विराजमान है। अपनी इसी खासियत की वजह से यह अन्य मंदिरों में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। भगवान गणेश जी का आदि विनायक मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां पर श्रद्धालु अपने पितरों की शांति के लिए पूजा करते हैं।

इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस जगह पर भगवान श्री राम जी ने भी अपने पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ करवाया था। भगवान श्री राम जी के द्वारा शुरू की गई इस परंपरा की वजह से ही आज भी लोग यहां पर अपने पूर्वजों की शांति के लिए पूजा पाठ करवाने के लिए दूर-दूर से आते हैं। आपको बता दें कि यहां पर कोई नदी तट नहीं है। हमेशा पितरों की शांति के लिए पूजा नदी के तट पर की जाती है परंतु यहां पर धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के अंदर ही किए जाते हैं।

भगवान गणेश जी के आदि विनायक मंदिर में ना सिर्फ गणेश जी की नरमुखी प्रतिमा की पूजा होती है बल्कि यहां पर भोलेनाथ की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर के पास भगवान गणेश जी के साथ-साथ शिव और सरस्वती जी का भी मंदिर स्थित है। जो श्रद्धालु यहां पर आदि विनायक मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं वह भगवान शिव जी और सरस्वती जी के मंदिर में भी पूजा करते हैं और यहां पर अपना मत्था टेकते हैं।

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