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इस महिला के दिमाग में फिट है कंप्यूटर, इतिहास से जुड़े हर सवाल का जवाब है इसके पास

एक समय था जब हमें किसी बारे में जानकारी लेने के लिए या तो काफी समय तक किताबों में जूझना पड़ता था। या फिर इतिहास के बारे में अपने बड़े-बुजुर्गों से पूछना होता था। लेकिन समय बदला और गूगल आया। गूगल एक ऐसा सर्च इंजन में जिसमें आपको किसी भी तरह के सवाल का जवाब मिल जाएगा। पूरे विश्व की जानकारी गूगल में आसानी से मिल जाती है। लेकिन अगर हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएं जिसने अपने दिमाग में ही इतिहास से जुड़ी हर बात को इस तरह से फीड किया हुआ है कि आप उससे कैसा भी सवाल पूछ लो उसके पास उसका उत्तर मिल जाएगा।

जी हैं आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके दिमाग के आगे कंप्यूटर भी धीमा पड़ जाएगा। जी हां हम आपको बताने जा रहे हैं पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव मनैला के एक जमीदांर परिवार की 55 वर्षीय महिला कुलवंत कौर की जो गूगल इंजन की तरह हर सवाल का तुरंत जवाब देती हैं। बता दें कि अपने इलाके में लोग कुलवंत को गूगल बेबे के नाम से पुकारते हैं।

कुलवंत को भारत में कब, किसने, किस तरह हमला और राज किया इन सबके जवाब उनको मालूम हैं। इसके साथ ही सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि यहूदी, ईसाई, इस्लाम, बोधी, हिंदू और सिख आदि धर्म गुरुओं, उनके माता-पिता उनकी शिक्षाओं लिखित वाणियों, उपदेशों आदि की जानकारी भी कुलवंत को पूरी तरह से है। इसके अलावा भारतीय इतिहास में आर्य लोग कब आए और भारत पर पहला हमला करने वाले मोहम्मद बिन काजम तथा भारत पर 17 हमले करने वाले महमूद गजनवी, बुध धर्म के बुत तहस नहस करने वाले अलाउद्दीन खिलजी, यूनान के सिकंदर पोरस के हमले रोकने वाले चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक सम्राट समेत महाराजा रणजीत सिंह, जस्सा सिंह रामगढ़िया, जस्सा सिंह आहलूवालिया समेत कई राजा महाराजा के जीवनकाल व उनके पारिवारिक सदस्यों का बारे में हर एक जानकारी गूगल बेबे के दिमाग में मौजूद है।

इस तरह मिला धर्म अध्ययन का ज्ञान

जब कुलवंत कौर से पूछा गया कि इतनी सब जानकारी उनको कैसे हैं तो उन्होंने बताया कि। उनके पिता का जन्म लाहौर में हुआ था। वह पेशे से इंजीनियर थे इसलिए आगरा आकर के बस गए। आगरा में  कुलवंत का जन्म हुआ और वह वहीं पर पली बढ़ी। कुलवंत ने बताया कि जब वो आगरा में रहती थीं तो उनके घर कपड़ा व्यापारी राम लाल (डग्गी वाले) आते थे और उसके पिता से घंटों बैठकर हर धर्म के बारे में बातें करता था। और अपने पिता और उन अंकल की बातें कुलवंत और उनके सभी बहन भाई सुनते थें और वहीं से कुलवंत के जहन में ये बातें रट गई।

किताबों से भी किया ज्ञान अर्जित

कुलवंत ने बताया कि वो बात जानने के बाद उनके मन में इतिहास को जानने के लिए और उत्सुकता बढ़ी जिसके बाद उन्होंने हिस्टरी ऑफ इंडिया, हिस्टरी ऑफ पंजाब, डिस्कवरी ऑफ इंडिया, डिस्कवरी ऑफ पंजाब समेत धर्म अध्ययन के लिटरेचर को करीब 22 साल पढ़ा। कुलवंत बताती हैं कि वो जिस भी किताब को एक बार पढ़ लेती हैं उसको पढ़ने की जरूरत उन्हें दोबारा कभी नहीं होती है। कुलवंत ने अपने घर में खुद की एक छोटी सी लाइब्रेरी भी बनाई है।

पंजाबी यूनिवर्सिटी में लेंगी दाखिला

बता दें कि कुलवंत के इस टैलेंट को देखते हुए समाज सेवक एसपी सिंह ओबरॉय उनकी मदद के लिए आगे आए हैं। आर्थिक तौर पर कुलवंत की मदद करने के लिए उन्होंने उनकी 3 हजार रुपये महीना पेंशन लगाई। इसके बाद ओबरॉय ने गूगल बेबे की बात पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अधिकारियों से बात कराई तो गूगल बेबे ने उनके 6 सवालों के जवाब तुरंत फोन पर दे दिए। जिसके बाद ओबेरॉय उनका दाखिला पंजाब यूनिवर्सिटी के धर्म अध्ययन विभाग में कराना चाहते हैं।कुलवंत का कहना है कि अगर उनकी सेहत ठीक रही तो वो धर्म अध्ययन विषय पर पीएचडी भी करेंगी।

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