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अगर पाना चाहते हैं मनचाहा जीवनसाथी, तो कीजिए रामायण के इस चौपाई का जाप

इस दुनिया में चाहे स्त्री हो या पुरुष हो दोनों ही अपनी इच्छा के अनुसार अपने जीवनसाथी को पाने की चाहत रखते है यदि व्यक्ति को अपनी इच्छा अनुसार जीवनसाथी प्राप्त हो जाए तो उसको अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने में सरलता हो जाती है और व्यक्ति मनचाहे जीवनसाथी को प्राप्त करने के लिए हर संभव कोशिश भी करता है आपकी जानकारी के लिए बता दे कि श्री राम चरित्र मानस में एक प्रसंग आता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के वर्ण के पूर्व वैदेही जानकी माता सीता ने भी अपने मनचाहे वर की कामना के लिए जगत माता महागौरी के मंदिर में जाकर माता के मंत्र का जाप करके विशेष पूजा अर्चना की थी और जगत माता महागौरी ने प्रसन्न होकर सीता जी को मनचाहा वर की प्राप्ति का वरदान भी दिया था इसके परिणाम स्वरुप सीता जी को अयोध्या के राजकुमार श्री राम जी वर के रुप में मिले थे तभी से श्री राम चरित्र मानस के दोहे और चौपाईयों का मंत्र के रूप में मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस ग्रंथ में जिन दोहे या चौपाई जिस प्रसंग में लिखे हुए हैं उससे मिलती-जुलती हुई परिस्थिति उत्पन्न होने पर उन पंक्तियों के ध्यान स्मरण या जाप से साधकों का कल्याण हो जाता है रामचरित्र मानस में मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने का भी बहुत सुंदर प्रसंग है उन चौपाइयों का मंत्र के रूप में पूरी आस्था के साथ ध्यान और जाप करने से सभी मनचाही कामनाएं पूर्ण होती है परंतु कामना का उद्देश्य पवित्र और सच्चा होना बहुत ही जरूरी है तभी वह कामना फलदाई हो सकती है आज हम आपको इन चौपाइयों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

तौ भगवानु सकल उर बासी । करिहि मोहि रघुबर कै दासी ।।
जेहि कें जेहि पर सत्‍य सनेहू । सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू ।।

उपरोक्त जो चौपाई बताई गई है यह बालकांड का है इसमें राजा जनक प्रतिज्ञा करते हैं कि अपनी पुत्री वैदेही सीता का विवाह उस योग्य पुरुष से ही करेंगे जो भगवान शिव के भारी धनुष को उठाकर तोड़ देगा सीता जी का मन श्री राम जी के प्रति आकर्षित हो चुका था और वह चाहती थी कि उनके पिता की प्रतिज्ञा व्यर्थ ना जाए और साथ ही उनका विवाह भी तेजस्वी और हर तरह से श्रेष्ठ राजकुमार श्री राम जी से ही हो जाए लेकिन सीता जी के मन में यह संदेश था कि शायद श्री राम जी शिव के भारी धनुष को उठा नहीं पाएंगे तब सीता जी ने मन में धीरज रख कर जगत माता महागौरी के मंदिर में जाकर माता के मंत्र का जाप किया था और विशेष पूजा अर्चना भी की थी जिससे जगत माता महागौरी ने खुश होकर सीता जी को मनचाहा वर मिलने का वरदान दिया था और साथ ही यह भी कहा था कि भविष्य में जो भी कोई इस चौपाई का जाप श्रद्धा और विश्वास से करेगा उसे मनचाहे वर की प्राप्ति जरूर होगी यह प्रयोग केवल श्रद्धा विश्वासी आस्थावान लोगों के लिए ही है जो व्यक्ति स्वार्थी हैं उनके लिए इस मंत्र का प्रयोग वर्जित है।

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