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लंगड़ा आम : बेहद ख़ास है ये आम, 300 साल पुराना इतिहास, शिव जी से ख़ास रिश्ता, जानें कैसे पड़ा नाम ?

जहां फूलों का राजा गुलाब, जंगल का राजा शेर है तो वहीं फलों का राजा आम है. गर्मियों का सीजन आ चुका है और आम अब ख़ास हो चुका है. आम की गर्मी के सीजन में मांग बहुत बढ़ जाती है. हर कोई इस फल का लुत्फ़ लेना पसंद करता है. आम अचानक से ही गर्मी आते ख़ास हो जाता है.

देश दुनिया में यह फल काफी पसंद किया जाता है. लोग इसे बड़े चाव के साथ खाना पसंद करते है. कोई इसे सीधे खाना पसंद करता है तो कोई इसका रस पीना पसंद करता है. देश दुनिया में आम की कई तरह की किस्में है. आम की एक किस्म ‘लंगड़ा आम’ भी है. आज हम आपको ‘लंगड़ा आम’ का इतिहास बताएंगे. साथ ही इसके नाम के पीछे का खुलास भी करेंगे

सबसे लोकप्रिय है ‘लंगड़ा आम’

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आम की कुल 1500 वैरायटी मौजूद है. इनमें से एक सबसे खास है ‘लंगड़ा आम’. लंगड़ा आम काफी लोकप्रिय है. इसे बनारसी लंगड़ा आम के नाम से भी जाना जाता है. गौरतलब है कि हाल ही में इस आम को ‘जीआई’ टैग दिया गया है.

300 साल पुराना है ‘लंगड़ा आम’ का इतिहास

लंगड़ा आम का इतिहस करीब 300 सल पुराना है. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश की वाराणसी नगरी से होती है. वाराणसी के एक शिव मंदिर में एक बार एक साधु अपने साथ आम के दो छोटे-छोटे पौधे लाए. इन्हें उन्होंने मंदिर के पीछे लगा दिया. साधु मंदिर में ही रहने लगे. चार साल तक वे मंदिर में रहे और तब तक आम के पेड़ भी बड़े हो चुके थे

एक दिन साधु ने आम की मंजरियां भगवान शिव को समर्पित कर दी. साथ ही कहा कि उनका उद्देश्य पूरा हुआ. इसके बाद वे चले गए और मंदिर के पुजारी से आम के पेड़ की देखरेख के लिए कहा. साथ ही कहा कि जब इस पर आम आ जाए तो उन्हें कई हिस्सों में काटकर भगवान शिव को समर्पित करते रहे और भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटते रहे. साधु ने पुजारी से एक अहम बात यह भी कही थी कि कभी भी पेड़ की कलम और गुठली किसी श्रृद्धालु को न दे.

इस आम की खबर तत्कालीन काशी नरेश को लगी तो वे मंदिर आ गए और पुजारी से कहा कि वे आम की कलम राज्य के प्रधान माली को दे दें. राजा ने मंदिर आकर आम के दोनों पेड़ों का निरीक्षण किया और भगवान शिव को फल भी अर्पित किया. वहीं जब राजा ने आम की कलम की मांग की तो पुजारी ने कहा कि वो भगवान शिव से प्रार्थना करेंगे और उनके निर्देश पर कल महल आकर आम की कलम महल के माली को सौंप देंगे. रात में पुजारी के सपने में भगवन शिव आए और उन्होंने पुजारी से कहा कि वे आम की कलम राजा को सौंप दे.

ऐसे पड़ा ‘लंगड़ा आम’ नाम

लंगड़ा आम का नाम पुजारी से जुड़ा हुआ है. दरअसल मंदिर के पुजारी दिव्यांग थे. उन्हें लोग ‘लंगड़ा पुजारी’ कहते थे और बाद में आम को भी ‘लंगड़ा आम’ कहा जाने लगा.

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