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आत्मविश्वास के आगे झुका बोर्ड, 1 अंक नहीं बढ़ाया तो छात्र ने 3 साल की लड़ाई, बढ़वाए 28 अंक

परीक्षा में 1 अंक कम आए तो बोर्ड से भीड़ गया शख्स, कोर्ट में दी चुनौती, बढ़ गए 28 अंक

जब हम किसी चीज को लेकर खूब मेहनत करें, लेकिन उसका उचित फल नहीं मिले तो बड़ा दुख होता है। इस स्थिति में कई लोग हार मानकर इसे ही अपना भाग्य समझ लेते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने जिद, मेहनत और आत्मविश्वास से अपना भाग्य तक पलट देते हैं। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर (Sagar) जिले के परकोटा के रहने वाले शांतनु शुक्ला (Shantanu Shukla) भी ऐसे ही एक शख्स हैं।

1 अंक बढ़वाने के लिए लड़ी 3 साल लड़ाई

शांतनु शुक्ला ने 2018 में एक्सीलेंस स्कूल से 12वीं क्लास की पढ़ाई की थी। उन्होंने एमपी बोर्ड 12वीं की परीक्षा में 74.8% अंक हासिल किए थे। हालांकि शांतनु को पूर्ण आत्मविश्वास था कि उनके परीक्षा में 75 से 80 प्रतिशत अंक आएंगे। लेकिन मात्र एक अंक कम आने की वजह से कह 75 प्रतिशत का आकड़ा भी नहीं छू सके। इसके अभाव में वह सीएम की मेधावी योजना का लाभ भी नहीं ले पाए।

अपने 75% प्लस के सपने को पूरा करने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल (Board of Secondary Education, Madhya Pradesh) से लेकर हाईकोर्ट (mp High Court) तक के चक्कर लगाए। इस दौरान उन्होंने 3 साल अपने हक की लड़ाई लड़ी। जेब से 15 हजार रुपये भी खर्च किए। कोर्ट में 40 से अधिक पेशियां की। पहले उन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल में रिटोटलिंग के लिए अप्लाई किया। लेकिन 1 नंबर भी नहीं बढ़ा।

आत्मविश्वास के आगे झुका बोर्ड, बढ़े 28 अंक

इसके बाद शांतनु ने बोर्ड में फिर से अप्लाई कर अपने सब्जेक्ट की कॉपी निकलवाई। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ प्रश्नों के आगे सही टिक के निशान तो लगे थे, लेकिन नंबर नहीं दिए गए थे। ऐसे में उन्होंने 2018 में पिटीशन दर्ज की। फिर कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा मंडल को फिर से मूल्यांकन करने का आदेश दिया। कोर्ट द्वारा बोर्ड को 6 नोटिस भेजे गए, लेकिन उन्होंने फिर भी अपना पक्ष नहीं रखा। बीच में कोरोना भी आ गया जिसके चलते दो सालों तक इस मामले की कोई सुनवाई नहीं हुई।

आखिर बोर्ड को शांतनु की जिद के आगे झुकना पड़ा और फिर से मूल्यांकन हुआ तो उनके 1 की बजाय 28 अंक बढ़ गए। इसका नतीजा ये हुआ कि उनके 74.8% अंक बढ़कर 80.4% हो गए। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री मेधावी योजना का लाभ लेने के लिए फॉर्म भी भर दिया। बता दें कि शांतनु चार बहनों में इकलौते भाई हैं। उनके माता पिता भी नहीं है। दोनों का देहांत हो गया है।

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