दिलचस्प

भारत का ये मंदिर बारिश होने से पहले ही खोल देता है बड़ा राज, कोई नहीं सुलझा पाया है ये रहस्य

भारत में मंदिरों का भंडार है। एक से बढ़कर एक मंदिर देखने को मिलेंगे। कुछ मंदिर तो ऐसे हैं, जिनके राज अभी तक उलसे हुए हैं। ऐसे ही एक मंदिर से हम आपको  रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसमें एक बड़ा राज छिपा हुआ है। हैरानी की बात ये है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई इस राज से पर्दा नहीं उठा पाया है। ईश्वरीय शक्ति अदृश्य होती है, ऐसा आपको इस राज को जानने के बाद कहेंगे। ये राज किसानों को काफी फायदा देता है। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है ऐसा राज?

आपने कई ऐसे मंदिरों के बारे में सुना होगा, जहां न जाने कितने राज छिपे हुए हैं। आज हम आपको उत्तर प्रदेश के कानपुर के गांव में एक ऐसे मंदिर से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसके बाद आपको भी भगवान की शक्ति पर भरोसा हो जाएगा। कानपुर शहर से थोड़ा दूर एक गांव में एक मंदिर है, जोकि वहां के लोगों की काफी मदद करता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे मदद करता है? तो हम आपको उसी राज से रूबरू कराने जा रहे हैं।

कानपुर का ये मंदिर अपने चमत्कार की वजह से पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसे जगन्नाथ का मंदिर कहते हैं। इस मंदिर से लोगों की श्रद्धाएं जुड़ी हुई है। लोगों की श्रद्धाओं पर यह मंदिर खरा उतरता है। कहते हैं कि यह मंदिर बारिश आने से पहले ही लोगों को बता देता है कि अब बारिश होने वाली है। अरे नहीं बाबा बोलने वाला मंदिर नहीं है, बल्कि यहां कुछ ऐसे संकेत देखने को मिलते हैं, जो इसी तरफ इशारा करते हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक, बारिश आने से पहले ही इस मंदिर के छत से कुछ बूंदे टपकने लगती है, जिससे लोगों को पता चल जाता है कि अब बारिश होने वाली है, ऐसे में लोग चौकन्ने हो जाते हैं। बता दें कि लोगों को कहना है कि छत से जब बूंद टपकने लगती है, तो किसान खेत जोतने को निकलते हैं। किसानों का इस मंदिर को लेकर बड़ा विश्वास देखने को मिलता है।

किसानों का कहना है कि इस मंदिर की छत से जब बूंदे टपकने लगती है, तब बारिश होनी तय है। इतना ही नहीं, बारिश होने से 6-7 दिन पहले ही छत से बूंदे टपकने लगती हैं। जिसकी वजह से किसानों को ये इशारा मिल जाता है कि अब बारिश होने वाली है, और ऐसे में वो अपने खेती को लेकर जोश में आ जाते हैं। यह मंदिर कानपुर से 3 किलो मीटर दूर बेहटा गांव में है। इतना ही नहीं, जिस आकार में छत से बूंद टपकती है, उसी आकार में बारिश की बूंदे भी आती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button