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प्लास्टिक की बोतलों को रीसायकल कर बनी है PM Modi की ये स्पेशल जैकेट, जानिये कितनी है कीमत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने काम के अलावा अपने लुक और कपड़ों को लेकर भी अक्सर चर्चा में रहते हैं। उनका ड्रेसिंग सेंस कमाल का होता है। हाल ही में पीएम मोदी संसद में एक नीले रंग के खास जैकेट में दिखाई दिए। इस जैकेट की खास बात ये थी कि इसे प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर बनाया गया था। तो आखिर ऐसा कैसे हुआ? इस जैकेट की कीमत कितनी है? चलिए जानते हैं।

PM मोदी ने पहनी प्लास्टिक से बनी जैकेट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिस खास जैकेट का हम जिक्र कर रहे हैं उसे पीईटी (PET) बोतलों से बनाया गया है। यह उन्हें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने सोमवार को बेंगलुरु में आयोजित इंडिया एनर्जी वीक में तोहफे में दी थी। इस इंडिया एनर्जी वीक में भारत को एक महाशक्ति के रूप में प्रदर्शित किया गया जो कि ऊर्जा के परिवर्तनकाल में बड़ी भूमिका निभा रही है।

पीएम मोदी की इस जैकेट के कपड़े को तमिलनाडु के करूर की श्री रेंगा पॉलीमर्स कंपनी ने बनाया है। कंपनी ने इंडियन ऑयल को पीईटी (PET) बोतलों से बने 9 अलग-अलग कलर्स के कपड़े भिजवाए थे। ऐसे में इंडियन ऑयल ने चंदन के रंग का कपड़ा सिलेक्ट किया। वह उसे पीएम मोदी को भेट स्वरूप देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने यह कपड़ा  गुजरात में मौजूद पीएम मोदी के टेलर को भेजा। इसी टेलर ने इस कपड़े से मोदी का जैकेट तैयार किया।

ऐसे बनी बोतल से जैकेट, जाने कीमत

पीएम मोदी की यह खास जैकेट लगभग 15 प्लास्टिक की बोतलों से तैयार की गई है। यदि एक फुल ड्रेस बनाई जाए तो इसमें लगभग 28 बोतलें लग जाती हैं। इस तरह के कपड़ों को कलर करने के लिए पानी का यूज नहीं किया जाता है। इनसे सबसे पहले फाइबर रेडी किए जाते हैं। फिर इन्हें फैब्रिक में कन्वर्ट किया जाता है। और अंत में इससे ड्रेस बनकर तैयार होती है। प्लास्टिक को रिसाइकिल कर बनने वाली ऐसी जैकेट मार्केट में लगभग 2000 रुपये में मिल जाती है।

बताते चलें कि सशस्त्र बलों और इंडियन ऑयल के कर्मचारियों के लिए इसी मटेरियाल से कपड़े बनाए जाएंगे। इसके लिए करीब दस करोड़ पीईटी बोतलों का रिसाइकिल करना होगा। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही गवर्नमेंट ने 19,700 करोड़ रुपये की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) स्टार किया है।


इससे हमे कई लाभ होंगे। जैसे देश की इकॉनोमी बढ़ेगी। कॉर्बन फुट प्रिन्ट कम होगा। फॉसिल फ्यूल के आयात पर निर्भरता कम होगी। इस क्षेत्र में भारत को टेक्नोलॉजी और बाजार का नेतृत्व अपनाने में हेल्प होगी। इस वर्ष के बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ऊर्जा परिवर्तन और शुद्ध शून्य लक्ष्य की प्राप्ति हेतु 35,000 करोड़ रुपये का परिव्यय दिया गया है। इस समय गवर्नमेंट की 7 प्रथमिकताएं हैं। इसमें ग्रीन डेवलपमेंट भी एक है। सरकार की तरग से की गई इस पहल की हर कोई तारीफ कर रहा है।

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