अध्यात्म

दुर्भाग्य से कम नहीं बूढ़े शख्स का जवान लड़की से शादी करना, आचार्य चाणक्य से जाने इसके नुकसान

कहते हैं प्यार की कोई सीमा नहीं होती है। यह कभी भी, कहीं भी, किसी से भी हो सकता है। इसलिए कुछ लोग अपने से बहुत कम उम्र के लोगों से ही शादी रचा लेते हैं। लेकिन आचार्य चाणक्य की माने तो पति पत्नी के बीच उम्र का ज्यादा अंतर ठीक नहीं होता है। उन्होंने तो ऐसे रिश्ते की तुलना जहर तक से कर दी है।

आचार्य चाणक्य की गिनती अपने जमाने के महान विद्वानों में होती है। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर चाणक्य नीति लिखी है। इस नीति में उन्होंने कई ऐसी बातें बताई है जो मानव जीवन के लिए लाभकारी है। यह बातें आज के जमाने में भी एकदम सटीक बैठती है। आज हम आपको चाणक्य नीति की कुछ खास बातों को विस्तार से बताएंगे।

जीवन में कभी ना भूले आचार्य चाणक्य की यह बातें

1. आचार्य चाणक्य की माने तो एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति पत्नी को शारीरिक और मानसिक रूप से सुखी रहना चाहिए। लेकिन पति पत्नी के बीच उम्र में अधिक अंतर हो तो ऐसा नहीं हो पाता है। उनके आपसी विचार आपस में मेल नहीं खाते हैं। उन्हें तालमेल बैठाने में परेशानी होती है।

ऐसे विवाह का होना ना होना बराबर होता है। इस तरह का दांपत्य जीवन जहर से कम नहीं होता है। ऐसी शादियां ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती है। इसलिए अधिक उम्र के व्यक्ति को जवान लड़की से शादी नहीं करना चाहिए।

2. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि आप किसी काम में परफेक्ट हैं तो उस परफेक्शन पर को बनाए रखने के लिए प्रैक्टिस बहुत जरूरी है। बिना प्रैक्टिस के आपका ज्ञान और हुनर धूमिल होने लगता है। प्रैक्टिस इंसान को परफेक्ट बनाती है।

जो लोग अपने हुनर और ज्ञान का अभ्यास नहीं करते हैं उन्हें भविष्य में कई नुकसान उठाने पड़ते हैं। आपने अपने हुनर के लिए जो पहले प्रैक्टिस की थी वह भी मिट्टी में मिल जाती है।

3. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गरीब व्यक्ति को अमीर लोगों के समारोह और कार्यक्रमों में जाने से बचना चाहिए। गरीब व्यक्ति जब अमीरों की महफिल में जाता है तो वहां के रहन-सहन और तौर तरीके ठिक से नहीं सीख पाता है।

ऐसे में उसका अमीरों के बीच मजाक बनता है। उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है। आप उदास हो जाते हैं। इसलिए लोगों को अपने वर्ग के लोगों के साथ ज्यादा उठना बैठना चाहिए।

4. आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी चीज की अधिकता नुकसानदेह होती है। उदाहरण के लिए यदि आपका पेट खराब हो गया है तो और खाना नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ लोग स्वादिष्ट खाना देख अपना आपा खो बैठते हैं। फिर अनाप-शनाप खाने लगते हैं। इससे उनका खराब पेट और भी खराब हो जाता है।

इसलिए पेट को रेस्ट देना जरूरी है। यह तो सिर्फ एक उदाहरण था। असल जीवन में और भी कई चीजें होती हैं किसी अधिकता नहीं करनी चाहिए। जीवन में काम और आराम का बैलेंस बनाकर रखना चाहिए। इससे आप आगे सुखी जीवन बिताएंगे।

उम्मीद करते हैं कि आचार्य चाणक्य की कहीं यह बातें आपको पसंद आई होगी। इन पर जितना जल्दी हो सके अमल करना शुरू कर दें। इससे आप की क्वालिटी ऑफलाइन सुधर जाएगी।

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