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कटघरे में थी मां, बेटा पास में नंगे पैर खड़ा था, फिर जज ने जो किया वह मानवता की मिसाल बन गया

‘अपराधी का बेटा है। अपराधी ही बनेगा।’ ऐसी बातें आप ने अक्सर सुनी होगी। समाज के लोगों की भी यही धारणा रहती है कि यदि कोई इंसान गलत और बुरा है तो उसके पूरे परिवार को नफरतभरी नजरों से देखा जाता है। लोग उनके बच्चों से भेदभाव करते हैं। उनकी मदद करने या उन्हें सही रास्ता दिखाने की बजाय जलील करते हैं। उनके आसपास ऐसा माहौल बनाते हैं कि बच्चा कुछ अच्छा भी करना चाहे तो मेंटल प्रेशर में बुरा कर देगा।

हालांकि ऐसी सोच गलत है। मां-बाप के बुरे कर्मों की सजा कभी बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए। उन मासूमों का इसमें कोई कसूर नहीं कि उनके घरवाले कितने बुरे हैं। यह बात हरियाणा के फतेहाबाद के एक जज भलीभांति समझते हैं। इसलिए जब कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान उनकी नजर पेशी पर आई महिला के बच्चे पर पड़ी तो उसे तकलीफ में देख उनका दिल पिघल गया। फिर उन्होंने जो किया वह हैरान करने वाला था।

बच्चे को नंगे पैर देख पिघला जज का दिल

दरअसल हाल ही में न्यायाधीश डीआर चालिया एक मामले की अदालत में सुनवाई कर रहे थे। इस मुकदमे में टोहाना से दो महिलाएं अदालत में पेश होने आई। इनमें से एक महिला के साथ उनका बच्चा भी था। इस बच्चे के पैर में जूता या चप्पल नहीं था। बच्चे को नंगे पैर देख न्यायाधीश चालिया का दिल पसीज आया। वह सोच में पड़ गए कि इतनी भीषण गर्मी में भी बच्चा नंगे पैर कैसे आया होगा।

इसके बाद न्यायाधीश चालिया ने एक पल भी नहीं सोचा और तुरंत जूते मँगवाकर उस बच्चे को पहनवाए। ताकि बच्चा वापस घर जाए तो रास्ते में गर्म सड़कों पर उसके पाँव नहीं जले। न्यायाधीश का यह मानवीय कृत्य देख अदालत में मौजूद सभी लोग इंप्रेस हो गए। उन्होंने न्यायाधीश चालिया की दिल खोलकर तारीफ की।

पेश की मानवता की नई मिसाल

इस घटना ने सभी को सीख दी कि भले कोई अपराधी हो, लेकिन इसका असर बच्चे की मदद पर नहीं पड़ना चाहिए। जरूरतमंद बच्चों की हमेशा मदद करना चाहिए। उन्हें उनके मां बाप के आधार पर जज नहीं करना चाहिए। यदि हम उन्हें ईमानदारी, दया और भावुकता की मिसाल दें तो बड़े होकर वह अपराधी नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान बनेंगे। समाज के लिए कुछ अच्छा करेंगे।

इसलिए ये हमारा कर्तव्य है कि हम जरूरतमंद बच्चों की मदद को हमेशा आगे आए। फिर वह गरीब हो, आमिर हो, किसी भी मजहब का हो, या अपराधी का बच्चा हो। इन चीजों के आधार पर भेदभाव करना गलत है।

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