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BJP से मिली हार के बाद क्या हो जाएगा महागठबंधन का ‘द एंड’? मायावती और अखिलेश ने दिए ये संकेत

लोकसभा चुनाव 2019 में विपक्ष ने महागठबंधन बनाकर भाजपा को हारने की खूब जोरो से तैयारी करी थी लेकिन इन चुनावों में मिली करारी हार के बाद इस महागठबंधन की उपयोगिता पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं. नतीजन बसपा अध्यक्ष मायावती ने बीते सोमवार ही इस महागठबंधन से अलग होने के संकेत दिए हैं. मायावती का कहना हैं कि उनकी पार्टी को इस गठबंधन से कोई भी फायदा नहीं हुई हैं. इसलिए वे इसका अध्ययन कर आगे का फैसला लेगी. वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव गठबंधन की समाप्ति के सवालो से बचते नज़र आए. हालाँकि जब आजमगढ़ में रिपोर्टर ने खोद खोद कर उनसे सवाल पूछे तो उन्होंने कहा कि हम अपने ही संसाधनों एवं साधन के साथ आने वाले चुनाव लड़ेंगे.

हुआ ये कि जब हाल ही में हुए चुनाव परिणाम के ऊपर गठबंधन वालो की एक बैठक हुई थी. इसमें मायावती ने इल्जाम लगाया कि इस गठबंधन से उनकी पार्टी को जिस फायदे की उम्मीद थी ऐसा कुछ ना हो सका. ऐसे में इसमें बने रहने के निर्णय के बारे में विचार किया जा रही हैं. वहीं इस बार बसपा ने उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में हिस्सा लेने का भी मन बना लिया हैं. बता दे कि आमतौर पर बसपा वाले उपचुनावों में खड़े नहीं होते हैं लेकिन इस बार इन्होने कुछ अलग रणनीति बनाई हैं.

उधर अखिलेश यादव की बात करे तो वे आजमगढ़ में अपनी जित के बाद मतदाताओं को धन्यवाद करते दिखाई दिए. हालाँकि यहाँ जब पत्रकारों ने उनसे आगामी चुनाव में रणनीति को लेकर प्रश्न किये तो वे इन सवालों से बचते दिखाई दिए. इस दौरान वे बस इतना ही कह पाए कि अबकी बार हम अपने ही संसाधनों और साधन से चुनाव लड़ेंगे. इसके बाद जब पत्रकारों ने पूछा कि मायावती का आरोप हैं कि आप यादवों के वोट ट्रांसफर नहीं कर पाए तो इस सवाल पर अखिलेश ने चुप्पी साध ली.

फिलहाल यही आसार दिखाई दे रहे हैं कि बसपा और मायावातो इस गठबंधन के खेल का हिस्सा बनने के मूड में नहीं हैं. पिछले चुनावों को देखते हुए उन्हें ये स्पष्ट ज्ञात हो गया कि इस गठबंधन का उनकी पार्टी को ज़रा भी फायदा नहीं हुआ हैं. ऐसे में वे अपनी लड़ाई स्वयं लड़ना चाहती हैं. अब ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में बसपा और समाजवादी पार्टी की क्या रणनीति रहती हैं. वहीं दूसरी और आम आदमी पार्टी ने भी आने वाले चुनावो के लिए कमर कस ली हैं. मसलन अरविन्द केजरीवाल की सरकार दिल्ली मेट्रो में महिलाओं को निशुल्क यात्रा देने का प्लान बना रही हैं. ये रणनीति आगामी चुनाव में महिला वोट बैंक हासिल करने की कोशिश लगती हैं. कांग्रेस की बात करे तो अभी ये पार्टी भी कमजोर दिखाई दे रही हैं. लगभग हर जगह भाजपा ही एक स्ट्रांग पार्टी के रूप में उभरी हैं. कांग्रेस सहित अन्य सभी पार्टियों को लोकसभा चुनाव में अपने महागठबंधन को लेकर कई सारी उमीदें थी. लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी ने ऐसा पासा फैका कि सारे वोट्स अपनी झोली में ले लिए.

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