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बागेश्वर धाम के बाद अब ‘कंबल वाले बाबा’ का चमत्‍कार, चुटकी में ठीक करते हैं लकवाग्रस्‍त अंग!

इन दिनों मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने दावों के कारण चर्चा में आ गए हैं। वह लोगों के मन की बात पढ़ने का दावा करते हैं और लोग इसे चमत्कार भी मान रहे हैं। हर तरफ बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का नाम सुर्खियों में है। हालांकि, कई लोगों ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं तो कई लोग उन्हें सच भी मान रहे हैं। इन सबके बीच में अब राजस्थान के राजसमंद जिले में काले कंबल वाले बाबा का नाम भी चर्चा में आ गया। बता दे यह बाबा अपने काले कंबल के जरिए कई तरह के रोग दूर करने का दावा करते हैं। तो आइए जानते हैं काले कंबल वाले बाबा के बारे में…

kambal wale baba

बाबा के यहां पहुंचते हैं हजारों लोग
मिली जानकारी के अनुसार कंबल वाले बाबा गुजरात के निवासी है और उनका असल नाम गणेश भाई गुर्जर है, लेकिन वह कंबल वाले बाबा के नाम से मशहूर है। बता दे गणेश भाई गुर्जर करीब 15 दिन तक हर एक जगह अपना शिविर लगाते हैं और वहां पर कई रोगी उनके पास आते हैं। कई लोगों का मानना है कि वह बाबा की वजह से ठीक हो गए तो कई लोगों को आराम भी नहीं मिला।

रिपोर्ट की माने तो कंबल वाले बाबा ने अब तक कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और राजसमंद जैसे कई अलग-अलग राज्यों में अपने शिविर लगाए जहां पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस शिविर में आने के लिए लोग लाखों रुपए खर्च करने के लिए भी तैयार है। बाबा का कहना है कि उनके कंबल में एक ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति पर डालने के बाद उसकी बीमारी का पता लगा लेती है। इतना ही नहीं बल्कि बाबा ने दावा किया है कि यदि उनके सामने कोई व्यक्ति खड़ा है तो वह दूर से ही उसके रोग का पता लगा लेते हैं।

आम के झाड़ से मिला काला कंबल
रिपोर्ट की माने तो काले कंबल वाले बाबा के शिविर में ज्यादातर लकवे से पीड़ित लोग आते हैं, वैसे तो वह हर गंभीर बीमारी का इलाज करते हैं लेकिन उनके पास लकवे से ग्रसित लोग ज्यादा आते हैं। बता दें गणेश गुर्जर हमेशा अपने सिर पर एक काले कलर की पगड़ी पहने हुए नजर आते हैं और उनके कंधे पर हमेशा काला कंबल भी रहता है।

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काले कंबल के बारे में बात करते हुए खुद गणेश गुर्जर ने कहा कि, “मुझे यह कंबल एक आम के झाड़ से मिली और मुझे माताजी ने आशीर्वाद दिया था कि यह कंबल किसी पर ओढ़ा दोगे तो वह ठीक हो जाएगा। आज मेरे को 32 साल हो गए। यह 33वां साल चल रहा है, मैं सुबह से शाम तक यही काम करता हूं।”

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इतनी होती है बाबा की कमाई
बता दे शिविर में आने वाले लोगों को बाबा के यहां महज 40 रुपए की खाने की थाली भी मिल जाती है। ऐसे में वह हर महीने करीब 200000 कमा लेते हैं। वहीं बिसलेरी की बोतल भी 15 से ₹20 में बेचते हैं जिसमें महीने का 30 से ₹40000 कमाई होती है। इसके अलावा यहां पर चाय और बाबाजी के यंत्र भी बेचकर मोटी कमाई की जाती है।

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